परमहंस पाल महाविद्यालय के बारे में

हम सभी के आदर्श और संरक्षक श्री एन बी पाल जी ने इस अति पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा के स्तर को उन्नत करने और इसे रोजगारोन्मुख बनाने के लिए वर्ष 2006 में इस महाविद्यालय की स्थापना की I यह हम सभी के लिए बड़े गर्व की बात है कि आज तक इस महाविद्यालय से हजारों छात्र- छात्राएं उत्तीर्ण होकर अपने जीवन में कई अच्छे काम कर रहे हैं।

परमहंस पाल महाविद्यालय उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख महाविद्यालय है, जिसे उच्च शैक्षणिक मानकों, विविध शैक्षिक कार्यक्रमों, प्रतिष्ठित संकाय, शानदार पूर्व छात्रों, विभिन्न सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों और आधुनिक बुनियादी ढांचे की एक सम्मानित विरासत और प्रशंसा प्राप्त है। महाविद्यालय ने अपने अस्तित्व के अनेक वर्षों में, उच्चतम वैश्विक मानकों और उच्च शिक्षा में सर्वोत्तम प्रथाओं को कायम रखा है। राष्ट्र निर्माण की इसकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों का दृढ़ता से पालन करने की सदिच्छा इसके आदर्श वाक्य में परिलक्षित है।

वर्ष 2006 में स्थापित, इस महाविद्यालय की शिक्षण, अनुसंधान और सामाजिक पहुँच में उत्कृष्टता के लिए एक सुदृढ़ प्रतिबद्धता ने महाविद्यालय को अन्य महाविद्यालय के लिए आदर्श और पथ प्रदर्शक बना दिया है।

परमहंस पाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र की सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा एक अनवरत प्रक्रिया है । मानव संसाधन के विकास का मूल – शिक्षा है जो देश के सामाजिक-आर्थिक तंत्र के संतुलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । परम्परावाद और आधुनिक शिक्षा के मिश्रण में आत्मज्ञान की

भावना को आगे बढाने, ग्रामीण पृष्ठभूमि में अल्प आय वर्ग के छात्र/छात्राओं को अपनी ही सीमा में आधुनिकतम सुविधायुक्त उच्च शिक्षा तथा उनकी ग्रामीण प्रतिभा को समकालीन सन्दर्भों से जोड़कर नव प्रकाशित किया जा सके, इन्हीं उद्देश्यों के पूर्ति हेतु “सिद्धिर्भवति कर्मजा” के उपासक श्री नन्द बिहारी पाल द्वारा सन

2006 में उत्तर प्रदेश के सुदूर महराजगंज जनपद के अति पिछड़े क्षेत्र प्राकृतिक वैभव से सम्पन्न किन्तु शैक्षिक दृष्टि से विपन्न नारायणी (छोटी गंडक) के तट पर स्थित गुरली नामक गावं में एक उच्च शिक्षण संस्थान का शिलान्यास किया गया जो परमहंस पाल महाविद्यालय के नाम से जाना जाने लगा ।

अध्यक्ष का संदेश

मनुष्य का मूल्यांकन उसके रूप,कुल और वैभव से नहीं अपितु उसके ज्ञान,भाव और कर्म को देख कर करना चाहिए ।देश का ग्रामीण अंचल प्रतिभाओं का सदा से असीमित भण्डार रहा है । उन प्रतिभाओं को निखार कर कर्तव्य पथ पर अग्रसर करने में उच्च शिक्षण संस्थाओं की महती भूमिका रही है । शिक्षण संस्थाओं के अभाव के कारण क्षेत्र के अधिकांश विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्ति की उत्कट अभिलाषा रखते हुए भी कतिपय कारणों से सुदूर स्थानों पर जाकर शिक्षा प्राप्त करने में अपने को असहाय महसूस करते रहें है,जिसके परिणाम स्वरूप उनके अन्दर छिपी हुई प्रतिभा कुंठित होती रही है । यह व्यक्तिगत क्षति के साथ ही साथ राष्ट्रीय क्षति भी है । “उच्च,तकनीकी एवं गुणवत्ता पर आधारित रोजगार परक शिक्षा आम विद्यार्थी की पहुँच तक ” के उद्देश्य को लेकर परमहंस पाल स्नातकोतर महाविद्यालय, गुरली,सबया,(सिसवा बाजार)महराजगंज की स्थापना 2006 में किया गया । मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष को रहा है कि आज यह महाविद्यालय अपने 14 वें वर्ष (सत्र-2019-2020) में प्रवेश कर प्रगति पथ की ओर अग्रसर है । महाविद्यालय के चहुंमुखी विकास के क्रम में छात्र /छात्राओं ,प्राध्यापकों , कर्मचारियों, अभिभावकों ,गणमान्य नागरिकों , प्रशासनिक अधिकारियों, समाजसेवियों एवं प्रबंध तंत्र के सक्रिय सदस्यों से रचनात्मक सहयोग की अपेक्षा है । नवीन सत्र सभी वर्गों के लिए मंगलकारी ईश्वर से हमारी प्रार्थना है । समाज में रोजगार के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा के दृष्टिकोण छात्र/छात्राओं के मानसिक व चारित्रिक निर्माण के लिए आदर्शवादी गुरुजनों की समर्पित धारा सदैव तत्पर है |

-:: श्री नन्द बिहारी पाल ::-