महाविद्यालय नियमावली

नियन्ता समिति एवं अनुशासन व्यवस्था :-

महाविद्यालय में सुव्यवस्था, शांति एवं अनुशासन की स्थापना हेतु अनुशासन समिति (नियन्ता मण्डल) बनाया गया है । महाविद्यालय मे अनुशासन संबन्धित कार्यो का सम्पादन करने के लिए मुख्य नियन्ता की देख – रेख मे एक नियन्ता परिषद होगी । अच्छी व्यवस्था के लिए मुख्य नियन्ता एवं समिति सदैव तत्पर रहती है ।

अनुशासन समिति के संरक्षक प्राचार्य हैं । नियन्ता समिति द्वारा दी गई सूचनाओं और निर्देशों का पालन सभी विद्यार्थियो के लिए अनिवार्य है ।

अनुशासन नियम :-

  1. - महाविद्यालय मे किसी शिक्षक / कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार दंडनीय है जिसमें छात्र/छात्रा का महाविद्यालय से निष्कासन भी संभव है ।
  2. - जब कक्षाएं चल रही हों तब व्याख्यान कक्षाओं के आस-पास अनावश्यक रूप से खड़े न हो एवं शांति व्यवस्था बनाए रखें ।
  3. – छात्राओं के कॉमन रुम में छात्रों का प्रवेश वर्जित है ।
  4. - छात्र एवं छात्राएं निर्धारित साइकिल स्टैंड पर अपने वाहन को खड़ा करें ।
  5. - महाविद्यालय के भवन एवं संपत्ति को नुकसान न पहुचाए, दीवारों, एवं फर्नीचरों को लिख कर गंदा न करें ।
  6. - अपने पठन-पाठन की पाली /समय के अनुसार ही महाविद्यालय आवे । असमय एवं अकारण महाविद्यालय परिसर में प्रवेश अनुशासनहीनता माना जाएगा ।
  7. - महाविद्यालय में प्रवेश अथवा अन्य किसी के लिए संबन्धित अधिकारी पर किसी प्रकार का दबाव न बनाएं ।
  8. - महाविद्यालय के सभी छात्र/छात्राओं से अनुशासित, विनम्र तथा शिष्ट आचरण की अपेक्षा की जाती है तथा किसी प्रकार के नशा का सेवन करना वर्जित है और उसका पालन न करना गंभीर अनुशासनहीनता होगी| ऐसे विद्यार्थियो के विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी । महाविद्यालय से निष्कासन भी संभव है ।
  9. - कक्षाओं में मोबाइल का प्रयोग वर्जित है अतः सभी छात्र/छात्राओं से अपेक्षा की जाती है कि कक्षा में प्रवेश करने से पूर्व अपने मोबाइल का स्विच बंद रखें । इसका पालन न करना अनुशासनहीनता माना जायेगा और ऐसे छात्र के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी ।
  10. - यदि कोई छात्र/छात्रा दुर्व्यवहार, उद्दंडता, अमर्यादित आचरण एवं अपराध की प्रकृति का है तो उसे निम्न रूपों में दंडित किया जा सकता है ।
  • - चेतावनी
  • - अर्थदण्ड
  • - आर्थिक तथा अन्य सुविधाओं से वंचित किया जाना ।
  • - सस्पेंशन (निलंबन) तथा निष्कासन ।
  • - चरित्र प्रमाण – पत्र न दिया जाना तथा चरित्र प्रमाण-पत्र पर सन्दर्भ अंकित कर देना ।

परिचय पत्र :-

  1. - महाविद्यालय में प्रवेश के बाद सभी छात्र / छात्राओं को चाहिए कि वे अपना परिचय पत्र 15 दिनों के अंदर नियंता कार्यालय से निर्धारित शुल्क देकर बनवा लें ।
  2. - प्रत्येक परिवर्तित पते की सूचना तत्काल महाविद्यालाय कार्यालय को दी जानी चाहिए ।
  3. - महाविद्यालय परिसर अथवा परिसर से बाहर छात्र/ छात्राओं को सदैव परिचय –पत्र अपने साथ रखना होगा और मांगने पर तत्काल अध्यापकों या महाविद्यालय के जाँच अधिकारियों को दिखाना होगा । ऐसा न करने पर वे दंड के भागी होंगे ।
  4. - प्रत्येक छात्रा का प्रति वर्ष परिचय पत्र बनेगा । सभी पुराने छात्र/छात्रा प्रवेश लेने के बाद अपना परिचय पत्र बनवा लें । परिचय पत्र गायब हो जाने पर महाविद्यालय कार्यलय मे निर्धारित शुल्क जाम करने के बाद परिचय पत्र की दूसरी प्रतिलिपि प्राप्त किया जा सकता है ।

उपस्थिति :-

  1. - महाविद्यालय की सभी कक्षाओं की परीक्षाओं के लिए शिक्षण अवधि में हुए व्याख्यानों मे 75 % ( पचहत्तर प्रतिशत) उपस्थिति अनिवार्य है । विषय के अतिरिक्त प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगात्मक उपस्थिति अनिवार्य होगी ।
  2. - इस नियम के अंतर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर की उपस्थिति को महाविद्यालय के उन दिनों की पूर्ण उपस्थिति के बराबर माना जाएगा ।
  3. - इसका उत्तरदायित्व छात्र/छात्रा पर है कि वह समय –समय पर अपनी उपस्थिति की पूर्ण जानकारी रखें ।

छात्र पंजिका से नाम काटना : -

  1. - यदि शुल्क (शिक्षण, प्रयोगशाला, अथवा अन्य किसी प्रकार का) या अर्थदण्ड निश्चित देय तिथि तक छात्र/छात्रा द्वारा जमा नहीं किया जाता है तो उसका नाम छात्र पंजिका से काट दिया जाएगा । इस प्रकार नाम काटने के बाद कक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी ।
  2. - नाम कटने के बाद छात्र/ छात्रा का पुनः प्रवेश इस शर्त पर होगा कि वह महाविद्यालय द्वारा निर्धारित पुनः प्रवेश शुल्क जमा करे ।

शुल्क भुगतान की रशीद :-

प्रत्येक छात्र/छात्रा के द्वारा महाविद्यालय मे जमा की गयी प्रत्येक धनराशि की रसीद दी जाएगी । रसीद को सुरक्षित रखना होगा, क्योंकि रसीद की आवश्यकता किसी भी समय पड़ सकती है । प्रत्येक छात्र/छात्रा का लेजर नंबर रसीद पर अंकित रहेगा ।

शुल्क वापसी :-

महाविद्यालय में किसी भी पाठ्यक्रम की शिक्षा के लिए लिया गया शुल्क न तो समायोजित होगा और न ही वापस होगा । शुल्क की वापसी तभी हो सकती है जब महाविद्यालय प्रवेश लेना अस्वीकार कर दे अथवा पाठ्यक्रम में शिक्षण व्यवस्था जारी रखने में महाविद्यालय असमर्थ हो । यह नियम प्रत्येक दशा मे लागू होगा ।